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रघुकुल नंदन राजा राम
अवध नरेश सिया पति राम
मैं चाहूँ बस प्रेम आपका,
नहीं जगत का ये सम्मान।
राम भजन सिया राम मनन
आनंद विराजे कनक भवन
दुर्गुण सारे छोड़ छाड़ कर
करो आज सिया राम नमन।
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