
भक्ति भाव का नशा प्रेम में
जहर बनेगा अमृत
आज कराऊँ तुम्हे कथा में
भक्तमाल के दर्शन
ये जहर जिसे तुम सुख की नदिया मान रहे हो
धन दौलत और झूठी शान बखार रहे हो
जब मृत्यु निकट तेरे दरवाजे आएगी
तब नशा जहर का
प्यार सभी कुछ
यहीं छोड़ कर जाएगीअपने ईश्वर से मिलने में भी
हर पल वो सकुचायेगी
इतनी लज्जा, इतनी लज्जा कि छोड़ चली वो स्वर्ग राहनरक सही सब कष्ट सही
पर प्रभु से न कह पाएगी
याद आ रहीं आज कथा जो भक्तों ने कभी सुनाई थीं
कैसे मीरा भोग मान प्याली अमृत की पायी थी
कैसे तुलसी, दास हो गए कथा राम की गाई थी
कैसे ध्रुव ने अटल जगह सब नारायण से पायी थी
और कैसे वानर हनुमान इस कलियुग के भगवान हुए
कैसे शबरी के बेरों से लक्ष्मण मूर्छा पार हुए
ये जहर नशा था
भूल मेरी जो मैंने इससे प्यार किया
भक्ति भाव को छोड़ मोह कीमृग तृष्णा सिरमौर किया
अब यही प्रार्थना प्रभुवर मेरे
जन्म मिले तो भक्ति मिले
जहर सिक्त रहकर भी मुझको
प्यार तुम्हारा नशा मिले
प्यार तुम्हारा नशा मिले
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