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यहाँ पद्धति बनती अमीर के तौर-तरीक़े से ,
तो गरीब अपनायें हर निर्देश को ,
यहाँ परेशां हम देश के तंत्र से ,
तो कोई छोड़े अपने ही स्वदेश को ,
यहाँ बटते मत धर्म-जात से ,
तो कुछ झुठलाए हमारे उपदेश को ,
और कुछ कहते-कहते मर गए ,
की बचा लो अपने देश को
बचा लो अपने देश को..
- वासु सिंह
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