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कब जलेंगे आँगन में दीपक
खूबसूरत लगेंगे यें कितना
अग्नि में दिये , दिये में बाती
चलें चलों खुशियां के घर में
प्रेम बन्धन का दीप जलाएँ
रोशनी की दुनिया कौन जाने ?
यें अंधेरे की दिवाले से जाकर पूछो
क्या ! रोशनी नहीं लगती प्यारी तुझे
अपनी पर को पर नहीं होने दो न
सारे भव में तस्वीर रच दो न
चित्र –
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