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मेरी कुछ यादें भी इक भूलभुलैया जैसी हैं ।
भूल गया हूं, और बाहर आ नहीं सकता ।
जैसे कोई धुन बजती रहती हो मिरे अन्दर।
उसे गाना चाहता हूं, मगर गा नहीं सकता।
पुरानी किताबें पढ़ते ही यादों में खो जाता हूं।
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