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वाइट वॉरिअर ( श्वेत योद्धा )

Varun Chaudhary antrikshVarun Chaudhary antriksh March 3, 2023
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प्रताप सिंह और अरोड़ा जी लगभग 70 वर्ष की उम्र के बुजुर्ग हैं। अरोड़ा जी सुबह-सुबह प्रताप सिंह के घर मिलने आए थे। दोनों बहुत पुराने दोस्त हैं और आज कई सालों के बाद मिल रहे थे। दोनों ही रिटायर हो चुके हैं। जैसा कि सभी बुजुर्ग रिटायरमेंट के बाद अक्सर करते हैं; दोनों अपने पुराने किस्से याद करने के साथ-साथ अपने बच्चों के बारे में बात कर रहे थे। 

दोनों घर के बाहर लॉन में बैठे हुए थे। अभी-अभी सुबह निकली थी और सूरज की कुछ किरणें छिटकती हुई दिख रही थीं। प्रताप जी की बहू ने नौकर के हाथों लॉन में चाय भिजवा दी। 

प्रताप सिंह ने चाय पीते हुए अखबार में एक खबर पढ़ी और बोले: आजकल सरहद पर बहुत तनाव है। 

अरोड़ा जी बोले: हां लगता है चाइना और इण्डिया के बीच कोल्ड वॉर चल रहा है। 

प्रताप बोले: मेरा बड़ा बेटा भेदजीत इण्डियन आर्मी में ऑफिसर है। आजकल वह एल.ए.सी के पास ही तैनात है। मुझे बड़ा गर्व होता है कि मेरा बेटा भेदजीत अपनी जान जोखिम में डालकर देशवासियों की रक्षा करता है। 

छोटा बेटा दीपक एनेस्थेटिस्ट (बेहोशी का डॉक्टर) है। वह सभी डॉक्टरों की तरह अपनी कूल लाइफ जी रहा है। वह अपने ही शहर के "वी केयर" हॉस्पिटल में आईसीयू संभालता है।

अरोड़ा जी बोले: वैरी गुड। अरोड़ा जी कुछ देर की चुप्पी के बाद फिर बोले। मेरा बेटा कार्तिक आईटी कम्पनी में इंजीनियर है। उसका सालाना 42 लाख का पैकेज है। उसने अभी-अभी नई कार ली है। कार्तिक बहुत मजे की जिन्दगी जी रहा है। और मेरी छोटी बेटी नेहा अमेरिका की एक लैब में साइंटिस्ट है। उसका भी बहुत अच्छा पैकेज है। वह बहुत खुश है। नेहा कहती है कि पीएचडी करने के बाद एक फायदा है कि अनपढ़ या नासमझ इन्सानों के साथ दिमाग नहीं खपाना पड़ता है। 

प्रताप जी बोले: अच्छा नेहा बेटी अमेरिका पहुंच गई। बहुत अच्छा लगा सुनकर। 

अरोड़ा जी बोले: यार प्रताप एक बात बोलूं। तुम्हें अपने बड़े बेटे को भी फौज भेजने के वजाय डॉक्टर या इंजीनियर बनाना चाहिए था। मुझे नौकरी के लिए जान जोखिम में डालना बिल्कुल पसन्द नहीं है। मुझे तुम्हारे डॉक्टर बेटे दीपक की कूल लाइफ पसन्द है।

प्रताप बोले: हां लेकिन आजकल वह कोरोना वायरस की बीमारी की वजह से सेमिनार में बिजी रहता है। 

अरोड़ा जी का तभी फोन आ जाता है। वह बोलते हैं कि इस बार हम मिलने के लिए इतना लंबा इंतजार नहीं करेंगे। हम जल्दी मिलेंगे।

कुछ दिन बाद प्रताप जी टेलीविजन पर न्यूज़ देख रहे थे। चाइना से झड़प की खबर देखकर वह अपने बड़े बेटे भेदजीत के लिए बहुत परेशान हो गये। उन्होंने रिमोट दबाया तो अगले चैनल पर हिंदुस्तान में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते हुए केसों की खबर आ रही थी। न्यूज़ में यह भी देखा कि बुजुर्ग लोगों को इस बीमारी का खतरा ज्यादा है। 

प्रताप जी कुछ परेशान होकर अपनी पत्नी विनीता जी से बोले: एक तो हम पहले से ही अपने बड़े बेटे भेदजीत की बॉर्डर पर पोस्टिंग की वजह से चिंतित रहते हैं। अब यह महामारी का नया खतरा भी पैदा हो गया। 

हे ईश्वर सभी की रक्षा करो विनीता जी बोलती हैं। ऐसे समय में हमें अपने छोटे बेटे दीपक के बारे में सोच कर खुशी मिलती है। दीपक खुद भी सुरक्षित है और वह सभी मरीजों की जान भी बचाएगा।

अगले दिन प्रताप जी और विनीता जी अखबार में कोरोना से कुछ डॉक्टरों की मौत की खबर पढ़ते हैं। विनीता जी को प्रताप जी के चेहरे पर परेशानी के भाव साफ नजर आ रहे थे। तभी विनीता जी को अस्पताल जाता हुआ अपना बेटा डॉक्टर दीपक दिखाई दिया। विनीता जी दीपक से बोलीं बेटा अपना ख्याल रखना।

किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। कुछ दिनों बाद डॉक्टर दीपक बीमार हो गये। उसे दो दिन से बुखार था। दीपक को फिक्र थी कि कहीं उसकी वजह से उसकी चार साल की छोटी बेटी और बुजुर्ग माता-पिता संक्रमित ना हो जाएं इसलिए वह अपने अस्पताल में एडमिट हो गया। 

जब फोन पर प्रताप जी को दीपक की रिपोर्ट पता चली तो वह भौचक्का रह गए। दीपक कोरोना पॉजिटिव था। प्रताप जी को अचानक से अहसास हुआ कि उनका छोटा बेटा भी देश की हिफाजत के लिए एक जंग लड़ रहा था। लेकिन उन्होंने कभी इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया। प्रताप जी विनीता जी को बताने लगे उनका छोटा बेटा वाइट वॉरियर है। 

प्रताप जी हालचाल जानने के लिए अपने बड़े बेटे को फोन करते

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