जोशीमठ's image
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रूह फट जाती है जब दरकती ज़मीं पर नजर जाती है

अपनी  ताक़त  पर कुदरत  किस  कदर  इठलाती  है

जो इन्सान पहाड़ों के सीने चीर कर भी राह बना ले

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