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बहुत हुआ, अब तुम
ये तस्वीर बदल डालो।
तोड़ो जंजीरें सारी,
लोक मान्यता मेें जकड़ी,
मर्यादा की बेेेड़ी को तुम,
अब हथियार बना डालो।
बहुत हुआ अब तुुुम
ये तस्वीर बदल डालो।
है धरती आज मैली तो,
वायु भी प्रदूषित है,
है नदिया आज पीढ़ित,
समंदर भी तो दूषित है,
अब सब साफ कर डालो।
बहुत हुआ, अब तुुुम
ये तस्वीर बदल डालो।
मिट जाने दो भेेेद हृदय के,
गिर जाने दो मान वृृृथा,
आपस मेें सद्भाव प्रेम का,
मैैत्री,करूणा के प्रदेश का,
अब तुम दीप जला डालो।
बहुत हुआ, अब तुम
ये तस्वीर बदल डालो।
ये तस्वीर बदल डालो।
तोड़ो जंजीरें सारी,
लोक मान्यता मेें जकड़ी,
मर्यादा की बेेेड़ी को तुम,
अब हथियार बना डालो।
बहुत हुआ अब तुुुम
ये तस्वीर बदल डालो।
है धरती आज मैली तो,
वायु भी प्रदूषित है,
है नदिया आज पीढ़ित,
समंदर भी तो दूषित है,
अब सब साफ कर डालो।
बहुत हुआ, अब तुुुम
ये तस्वीर बदल डालो।
मिट जाने दो भेेेद हृदय के,
गिर जाने दो मान वृृृथा,
आपस मेें सद्भाव प्रेम का,
मैैत्री,करूणा के प्रदेश का,
अब तुम दीप जला डालो।
बहुत हुआ, अब तुम
ये तस्वीर बदल डालो।
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