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मुझसे तुमने नेह के नाते
तोड़ दिए क्यों ठाकुर जी
जबसे तुमने गोकुल छोड़ा
मथुरा में तुम जाए बसे
तबसे सूखी मेरी काया
जनमानस भी मुझपे हँसे
आने की थी आश बँधाई
कब आओगे ठाकुर जी
मुझसे तुमने नेह के नाते
तोड़ दिए क्यों ठाकुर जी
लगन लगी है एक तुम्हारी
घर आँगन कुछ सूझे न
पूछ रही हूँ कितने सवाल
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