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कविताएँ नहीं जज्बात लिखती हूँ
अपने दिल के हालात लिखती हूँँ।
कान्हा की मुरली की पुकार,
राधा की पायल की झंकार लिखती हूँ।
लिखती हूँ मरकर जीनेे की बात,
करती हूँ साँसो में उनकी गुहार
खोकर भी न खोने की बात लिखती हूँ।
कविताएँ नहीं जज्बात लिखती हूँ
माँँगती हूूँ पलपल उन्हें ही मैं,
सोहबत में जिनकी रहती हूँँ मैंं,
होकर भी अलग न होने की बात लिखती हूँ।
कविताएँ नहीं जज्बात लिखती हूँ
ढ़ूढ़ती हूँ क्षण-क्षण उन्हें ही मैं
रगों में जिनकी बहती हूँँ मैं
मिलकर न बिछड़ने की बात कहती हूँ।
कविताएँ नहीं जज्बात लिखती हूँ,
अपने दिल के हालात लिखती हूँ।
अपने दिल के हालात लिखती हूँँ।
कान्हा की मुरली की पुकार,
राधा की पायल की झंकार लिखती हूँ।
लिखती हूँ मरकर जीनेे की बात,
करती हूँ साँसो में उनकी गुहार
खोकर भी न खोने की बात लिखती हूँ।
कविताएँ नहीं जज्बात लिखती हूँ
माँँगती हूूँ पलपल उन्हें ही मैं,
सोहबत में जिनकी रहती हूँँ मैंं,
होकर भी अलग न होने की बात लिखती हूँ।
कविताएँ नहीं जज्बात लिखती हूँ
ढ़ूढ़ती हूँ क्षण-क्षण उन्हें ही मैं
रगों में जिनकी बहती हूँँ मैं
मिलकर न बिछड़ने की बात कहती हूँ।
कविताएँ नहीं जज्बात लिखती हूँ,
अपने दिल के हालात लिखती हूँ।
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