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ले लो इस बार दिए
उस बूढ़ी काकी से
जिसकी है दीवाली में
आस्था
जिसका है दीवाली से बास्ता
दिए, जो दूर देश से नहीं आए
उसने अपने हाथों से बनाए
कर लो उजियार
उस बूढ़ी काकी से
जिसकी है दीवाली में
आस्था
जिसका है दीवाली से बास्ता
दिए, जो दूर देश से नहीं आए
उसने अपने हाथों से बनाए
कर लो उजियार
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