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बचपन का दौर फिर लाएं
मौज मेें जिएँँ,न चिंंताएँ सताएँँ।
नन्हें-नन्हें कदमों से चलना, पापा की गोद मेेंं दौड़ के चढ़ना,
गैलरी से बरामदे की दूरी
मिनटों मेंं पार कर जाएँ।
बचपन का दौर फिर लाएँ।
मिट्टी से खेलना, रेेत से घर बनाना,
दोपहर की धूप में छत पर चढ़ना
लाइट जाने पर
हो- हल्ला मचाएँँ।
बचपन का दौर फिर लाएँ।
कापी पर सूरज और चंदा बनाना,
'नंदन'और 'चंपक'की कहानियों
मौज मेें जिएँँ,न चिंंताएँ सताएँँ।
नन्हें-नन्हें कदमों से चलना, पापा की गोद मेेंं दौड़ के चढ़ना,
गैलरी से बरामदे की दूरी
मिनटों मेंं पार कर जाएँ।
बचपन का दौर फिर लाएँ।
मिट्टी से खेलना, रेेत से घर बनाना,
दोपहर की धूप में छत पर चढ़ना
लाइट जाने पर
हो- हल्ला मचाएँँ।
बचपन का दौर फिर लाएँ।
कापी पर सूरज और चंदा बनाना,
'नंदन'और 'चंपक'की कहानियों
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