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ये आवाज मेरी कोई सुन रहा
वो नही मैं जो बोल रहा
वो सब जो मैं नहीं बोल पा रहा
क्या कहा
कुछ कहा नहीं
अब कहें क्या कैसे किसको
कोई सुने तो जो हम कहे नहीं
ये रात हुई
ठंड और यादों ने घेर लिया
या ठंडी पड़ी यादों ने घेर लिया
कभी अलाव जलाए
इन यादों के सहारे
तूफान बर्फिले कई गुज़ारे
आज़ादी नहीं कही
उन चिड़ियों की तरह
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