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हम ख़राबों से भी ख़राब हो गये

Vaishali (Gangotri)Vaishali (Gangotri) January 20, 2022
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यूं अदीब बने कि किताब हो गये

कितनेचेहरे यहाँ बे-नक़ाब हो गये

 

हमने बढ़के हक़ की जो दो बात की

हम ख़राबों से भी ख़राब हो गये 


वो जो दुनिया में आके हुए लाडले

बस इसी बात के वो नवाब हो गये

 

ये वफ़ा दोस्ती आसमानी है सब

अब तो रिश्तों के भी हिसाब हो गये

 

उनको कल थीचढ़ी ज़िद्द मेरे नाम की

हम तो उनके लिये बस शराब हो गये

 

ख़ुद ही हाजिब बने हैं मेरी रुह के

हमसे कहते हैं हम बे-हिजाब हो गये

 

चुप रहते थे कल चोट खाते हुए

आज हम भी तो हाज़िर-जवाब हो गये 


मैं नहीं चाँद जो रोशनी उनसे लूं

हम तो खुद ही सुलग आफ़्ताब हो गये



Vaishali Sahu 'Gangotri'


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