Share0 Bookmarks 204319 Reads2 Likes
घर
घर को ज्यादा संवारना
अब अच्छा नहीं लगता
क्योंकि शायद फिर
घर घर नहीं लगता
वो एक घर था
जिसे सब मिलकर
संवार लेते थे
जरूरत भर का
और बना रहता था
घर के होने का अहसास
वो जरूरत भर का संवारना
सबका अपना नज़रिय था
अपना अपना तरीका था
बात घर की करती No posts
No posts
No posts
No posts
Comments