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इतना कुछ ग़लत
मैं सही किसको कहूँ
ग़लत तो कहीं मैं भी हूँ
मैं ख़ुद को भी सही क्यूँ कहूँ
मैं किसी और पर एक
तो ख़ुद पर भी तीन उंगलियाँ उठाता हूँ
जो ग़लत है ,उसे सही नहीं कहना चाहता हूँ
ग़लत के मायने कई
ग़लत की परुभाषाएँ कई हैं
कि कौन ग़लत
सवाल अब यही है
कि जिसने ग़लत किया
वो ग़लत
कि जिसके साथ ग़लत हुआ
वो ग़लत
कि ग़लत देख कर जो चुप रहा
वो ग़लत
कौन ग़लत?
की पूर्णतः दोषी कोई नहीं
साझेदार हम सब हैं
समाज के अपराध के
हिस्सेदार हम सब हैं
ग़लत हम सब हैं
जो सही हो कर भी
ग़लत हैं
अपराध करने वाला एक ही सही
अपराध के हाथ हम सब हैं
मैं सही किसको कहूँ
ग़लत तो कहीं मैं भी हूँ
मैं ख़ुद को भी सही क्यूँ कहूँ
मैं किसी और पर एक
तो ख़ुद पर भी तीन उंगलियाँ उठाता हूँ
जो ग़लत है ,उसे सही नहीं कहना चाहता हूँ
ग़लत के मायने कई
ग़लत की परुभाषाएँ कई हैं
कि कौन ग़लत
सवाल अब यही है
कि जिसने ग़लत किया
वो ग़लत
कि जिसके साथ ग़लत हुआ
वो ग़लत
कि ग़लत देख कर जो चुप रहा
वो ग़लत
कौन ग़लत?
की पूर्णतः दोषी कोई नहीं
साझेदार हम सब हैं
समाज के अपराध के
हिस्सेदार हम सब हैं
ग़लत हम सब हैं
जो सही हो कर भी
ग़लत हैं
अपराध करने वाला एक ही सही
अपराध के हाथ हम सब हैं
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