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कुछ यह शब्द नहीं कुछ मे ही बहुत कुछ हैं।बस देखने का नजरिया चाहिए जिस किसी इंसान ने यह देख लिया वह सब कुछ कर लिया क्योंकि हर इंसान शुरुआत कुछ करने से ही शुरू करता हैं।लेकिन उसका अंत कहाँ हैं।यह आज तक कोई नहीं जान सका क्योंकि वह धीरे धीरे बहुत कुछ करने लगता हैं।उसे पता भी नहीं चलता की वह धीरे धीरे बहुत बडी बडी ऊँचाईयो को कब छूने लगता हैं।कही ना

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