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चलते जाना..
मैंने देखी है बरसातें,
वो भीगी भीगी रातें,
वो सूखे सूखे मौसम,
वो पतझड़ वाली बातें,
फूलों का धूल में मिलना,
चिड़ियों का चुप हो जाना,
वो सपनों से टकराना,
वो अपनों का कतराना,
वो नील गगन सी आशा,
पातालों तक की निराशा,
मन फिर भी मुस्कराना,
सपनों को फिर फिर सजाना,
जीवन तो है, बस चलते जाना..!
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