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उम्र भर जिस शहर में भटकता रहा मैं
एक उसका ना मिल पाना ही खटकता रहा मुझे
जिस गुलाब को तोड़ कर बनाया था इत्र मैने
उसका ही कांटा बर्सो तक चुभता रहा मुझे
-उर
एक उसका ना मिल पाना ही खटकता रहा मुझे
जिस गुलाब को तोड़ कर बनाया था इत्र मैने
उसका ही कांटा बर्सो तक चुभता रहा मुझे
-उर
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