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बाहर के रण जीते हमने, अंदर के द्वंदों से हारे ।
आँसू-आँसू फूट पड़ा मन, जब सुधियों के पाँव पखारे ।।
अपने दर्द छुपाकर दिल में, हमने मुस्कानों को पाला,
इच्छाओं को भूखा रखकर, आशाओं को दिया निवाला ।
जीवन के इस रंगमंच में, पहन मुखौटा घूमे हरदम..
बाहर के अभिनय को देखा, अ
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