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मन तुम्हारा रोज बदले लाख कपड़े, ख्वाहिशों का तन छुपाये या सजाये।
हम तुम्हारे दर्द में शामिल रहे थे, हम तुम्हारे दर्द में शामिल रहेंगे।।
लादकर सपनों की दुनिया चल पड़े हैं, इस धरा से उस गगन को जोड़ना है।
एक झोंका सा उठा है आज मन में, रुख हवाओं का हमें ही मोड़ना है।
आज कितनी भी विरोधी कोशिशें हों, या चुनौती दें हमारी वेदनाएँ
बह चले हैं जिस दिशा में प्राण सत्वर, उस दिशा में हम निरन्तर ही बहेंगे।।
हाथ में लेकर तुम्हारा हाथ हमने, प्रेम के पन्ने हजारों पढ़ लिये थे।
भावना की तान में अनु
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