मेरी वफ़ादारी का यह सिला हुआ's image
2 min read

मेरी वफ़ादारी का यह सिला हुआ

Umakant YadavUmakant Yadav June 16, 2020
Share0 Bookmarks 252223 Reads0 Likes

जीती थी जिसने दुनिया शमशीर बन के 

लौटा था इस जहाँ से फ़क़ीर बन के 

मैं तो यूँ भी मंज़िलों पर ठहरता नहीं

क्या करोगी मेरी तक़दीर बन के



मेरी वफ़ादारी का यह सिला हुआ

यार मेरा था दुश्मनों से मिला हुआ

क़िस्मत के फ़ैसले से हम दोनों हैं नाख़ुश

जाने किसके हक़ में यह फ़ैसला हुआ


ना ज़्यादा कुछ समझा हूँ, ना ज़्यादा कुछ कहता हूँ

याद आऊँ कभी तो जी लेना, काग़ज़ पे उकेरा लम्हा हूँ

चंदा नहीं जो रात सजाऊँ, घट जाऊँ बड़ जाऊँ

छोटी सी

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts