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तु नख से शिख तक नश्वर है
तुझे फिर काहे का तेवर है
वो कबाड़ीवाला आयेगा
तेरी बाँह पकड़ ले जायेगा
ना पूछेगा ना बोलेगा
ना नापेगा ना तोलेगा
तुझे जाना हो ना जाना हो
सब उसकी मर्ज़ी पर निर्भर है
तु नख से शिख तक नश्वर है
तुझे फिर काहे का तेवर है
तुझे दूर देश ले जायेगा
तेरा सब पीछे रह जायेगा
तेरी धन दौलत तेरे महल सलोने
छूटेंगे तेरे खेल खिलोने
जिन आँखों पर था जान छिड़कता
कुछ गदगद हैं कुछ निरझर हैं
तु नख से शिख तक नश्वर है
तुझे फिर काहे का तेवर है
वह अजब कबाड़ीवाला है
वह सब कुछ जाननेवाला है
तेरा पूर्जा पूर्जा कर देगा
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