
Share0 Bookmarks 440 Reads1 Likes
तु नख से शिख तक नश्वर है
तुझे फिर काहे का तेवर है
वो कबाड़ीवाला आयेगा
तेरी बाँह पकड़ ले जायेगा
ना पूछेगा ना बोलेगा
ना नापेगा ना तोलेगा
तुझे जाना हो ना जाना हो
सब उसकी मर्ज़ी पर निर्भर है
तु नख से शिख तक नश्वर है
तुझे फिर काहे का तेवर है
तुझे दूर देश ले जायेगा
तेरा सब पीछे रह जायेगा
तेरी धन दौलत तेरे महल सलोने
छूटेंगे तेरे खेल खिलोने
जिन आँखों पर था जान छिड़कता
कुछ गदगद हैं कुछ निरझर हैं
तु नख से शिख तक नश्वर है
तुझे फिर काहे का तेवर है
वह अजब कबाड़ीवाला है
वह सब कुछ जाननेवाला है
तेरा पूर्जा पूर्जा कर देगा
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments