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कोई रात का कायल है अंधेरा ढूंढता है...
कोई सुबह होने पर भी सवेरा ढूंढता है...
कोई ढूंढता है मकान एक घर बनाने को...
कोई घर में रहते हुए भी बसेरा ढूंढता है...
कोई ढूंढता है मिल जाये कोई साथ देने के लिए...
कोई हर किसी में उसके बिखरे हुए इश्क का चेहर
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