
तिनका तिनका जोड़ कर
पंछी बनाता घोसला ,
मनुष्य महल बनाता है ।
कभी कभी तिनका डुबने वालों को,
मंजिल तक पहुचाता है ।।
तिनका डुबता का सहार है,
ये दिलो जान से भी प्यारा है।
वक्त वे वक्त इसकी कुर्बानी का वजूद,
मिटते चला जाता जाता है ।।
बिखरे होने के विभेद में,
दरकिनार किया जाता है ।
व्यक्तित्व निखर नहीं पता ,
इसलिए तिरस्कृत किया जाता है ।
तिनका का अस्तित्व वे मिसाल है,
इसकी पहचान डाले डाल है ।।
तिनका डुबता नहीं है ,
वल्कि डुबने बालों को बचाता है।
दुख के हर घड़ी में ,
तिनका ही साथ निभाता है।।
दब जाता वो और मर जाता है,
पर कर्तव्यहीन नहीं बन पाता है ।
तिनका का अस्तित्व बहुत बड़ा,
पर व्यक्तित्व निखर न पाता है ।।
अहंकार में जो तिनका को भूला ,
उनलोगों का बन्टाधार हुआ है।
मझधार में अटके लोगों को ,
हर वक़्त बेड़ा पार किया है।।
अपयश का परवाह न इसको,
लोगों को वो कल्याण किया ।
तिनका विलुप्त हाे गया सागर में,
पर जीने का एक आधार दिया।।
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