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सत्य के डगर पर, असत्य को मिटाएं ।
मजहब के उलझनों से दूर हो हम जाएं ।
हिन्दी हैं हम, वतन है, हिन्दुस्तान हमारा।
भेदभाव कर के इस में उलझ न जाएं ।
सत्य के डगर पर, असत्य को मिटाएं ।।
मन्दिर कहाँ है, मस्जिद, क्यों उलझनों में आएं ?
जब एक ही है ईश्वर तब क्यों न इसे सुलझाएं ?
मर रहे हैं हम हजारों , सिमट कर के दायरों में ।
हिन्दु हैं हम, तुम मुस्लिम, न होगे एक हम तुम ।
इस सोच को मिटाएं और अपना सभी बताएं ।
मुल्ला, मोलबी, पण्डित सभी एक रास्ता परआएं ।
सत्य के डगर पर असत्य को मिटाएं ।।
वेद भी हमारा, कुरान भी हमारा, बाइबल भी है हमारा।
जो भी बना यहाँ है ,इसे भूल हम न जाएं ।
लोकहित की बात सब में, उसेे छानकर बताएं ।
पण्डित और मुल्ला फादर स्वच्छ सोच को अपनाएं ।
मजहब के उलझनों में, उलझ नहीं हम जाएं ।
सत्य के डगर पर असत्य को मिटाएं ।।
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