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कविता की इस पंक्ति में ,
मन की व्यथा बतानी है।
साँसे छूटा ,जीवन रुठा,
जीवन का यही कहानी है।
जीवन उसका धन्य है,
मानवता के लिए देता जो कुर्बानी है।
खो कर भी पाया जीवन में,
अहंकार स्वभिमानो में अंतर हमें बतानी है।
कविता की इस पन्ति में,
मन की व्यथा बतानी है।।
अहंकार सिकन्दर में था,
पोरस उसको दूर किया,
ये अमर जिन्दगानी है ।
स्वभिमान मातृभूमि की सुरक्षा,
प्राणों से भी प्यारी,
यही समझानी है ।
कविता की इस पंक्ति में,
मन की व्यथा बतानी है ।।
जीत , हार हो जाता है ,
अंदर बैठा गद्दारों से होता हानि है ।
जीत हार में क्या रखा ?
जो झुकना कभी न सीखा स्वभिमानी है ।
अपने प्राणों से मातृभूमि को सींचा,
वो बलिदानी,अमर उनका जिन्दगानी है।
यही जन जन को हमें बतानी है।
कविता की इस पंक्ति में ,
मन की व्यथा सुनानी है ।।
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