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फिर तुंम्हीं से दिल लगाया होता

Tushar srivastavaTushar srivastava October 7, 2021
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अगर होता दिल फिर तुम्हीं से दिल लगाया होता

घीसे पत्थरों से फिर वहीं एक मूरत बनाया होता


मैं तो अंधेरे कमरे में क़ैद गुमनाम एक साया था 

एक आहट से भी फिर वहीं दीपक जलाया होता 


मुनासिब कहा अब लौट कर मेरा वापिस आना

काश तुमने लाश को घर अपने दफ़नाया होता 


सुनाती अगर तुम किस

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