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जो वृंदावन (पहली बार) जाएं उनके लिए चेतावनी है,
वहां रहता एक छलिया, करता वो मनमानी है ।
कदम रखते ही तुम, खुद पे खुद खींचे चले जाओगे,
छल लेगा वो तुम्हें, तुम हंसते हंसते छले जाओगे ।
तुम कुछ कर सकते नहीं, इस बात का ध्यान रखना,
जो एक बार छले गए, फिर बार बार छले जाओगे ।
सोच रहे होंगे तुम, इस छल से पीछा छुड़वा लोगे,
जितना पीछा छुड़वाओगे, उतने ही छले जाओगे ।
वो अपने छल से तुम्हें जीवन भर का बंधी बना लेगा,
तुम उसके छल से जीवन भर ना छुटकारा पाओगे ।
वो अपने छल से तुम्हें अपने दर्शनों का प्यासा कर देगा,
तुम उसके दर्शनों के लिए ना चाहकर भी दौड़ते जाओगे ।
वहां जाने से पहले तुम एक बार जरूर सोच लेना,
जो एक बार चले गए, फिर ना कभी वापस आ पाओगे ।
जो ये सब जानकर भी वहां जाना चाहता है,
समझ लेना उन्हें, मेरा "बांके बिहारी" बुलाना चाहता है ।
वो अपने छल से तुम्हें छलने को तैयार बैठा है,
वो अपने चरणों का तुम्हें दास बनाना चाहता है ।
उसके चरणों का दास, तुम जो एक बार बन गए,
उसकी छलिया आंखों में अगर वास तुम कर गए ।
तो एक अहम बात जान लेना मेरे दोस्त,
तुम जीवन भर उसकी कृपा के पात्र बन गए ।
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