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जन्म से पहले ही हम उनके मन में बस जाते है,
बिना कुछ कहे हमारे लिए बहुत कुछ कर जाते है,
अपनी उंगलियों के सहारे हमें चलना सिखाते है,
वो "पिता" ही है... जो ऐसा कर पाते है ।
जन्म से ही जो हमारे छत्र बन जाते है,
छत्र की भांति हमें हर मुश्किलों से बचाते है,
हर समस्या को हमसे पहले वो सुलझाते है,
वो "पिता" ही है... जो ऐसा कर पाते है ।
अपने दिए संस्कारों से हमें समाज में लाते है,
अनुभव से हमें दुनिया के तौर तरीके सिखाते है,
कदम कदम पर सही रास्तों की पहचान करना सिखाते है,
वो "पिता" ही है... जो ऐसा कर पाते है ।
अपने ख्वाब को बच्चों के खातिर छोड़
बिना कुछ कहे हमारे लिए बहुत कुछ कर जाते है,
अपनी उंगलियों के सहारे हमें चलना सिखाते है,
वो "पिता" ही है... जो ऐसा कर पाते है ।
जन्म से ही जो हमारे छत्र बन जाते है,
छत्र की भांति हमें हर मुश्किलों से बचाते है,
हर समस्या को हमसे पहले वो सुलझाते है,
वो "पिता" ही है... जो ऐसा कर पाते है ।
अपने दिए संस्कारों से हमें समाज में लाते है,
अनुभव से हमें दुनिया के तौर तरीके सिखाते है,
कदम कदम पर सही रास्तों की पहचान करना सिखाते है,
वो "पिता" ही है... जो ऐसा कर पाते है ।
अपने ख्वाब को बच्चों के खातिर छोड़
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