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जन्म से पहले ही हम उनके मन में बस जाते है,
बिना कुछ कहे हमारे लिए बहुत कुछ कर जाते है,
अपनी उंगलियों के सहारे हमें चलना सिखाते है,
वो "पिता" ही है... जो ऐसा कर पाते है । 

जन्म से ही जो हमारे छत्र बन जाते है,
छत्र की भांति हमें हर मुश्किलों से बचाते है,
हर समस्या को हमसे पहले वो सुलझाते है,
वो "पिता" ही है... जो ऐसा कर पाते है ।

अपने दिए संस्कारों से हमें समाज में लाते है,
अनुभव से हमें दुनिया के तौर तरीके सिखाते है,
कदम कदम पर सही रास्तों की पहचान करना सिखाते है,
वो "पिता" ही है... जो ऐसा कर पाते है ।

अपने ख्वाब को बच्चों के खातिर छोड़ जाते है,
कठिन संघर्षों से हमें अपने पैरों पर खड़ा कर जाते है,
खुद अंधेरों में रहकर हमें रोशनी दे जाते है,
वो "पिता" ही है... जो ऐसा कर पाते है ।

अपनी ख्वाहिशें त्यागकर बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करते है,
पास पैसा ना हो फिर भी बच्चों के बैंक हुआ करते है,
खुद से ज्यादा हमें आगे बढ़ता देख खुश हुआ करते है, 
वो "पिता" ही है... जो ऐसा किया करते है ।

अपनी परवाह किए बिना हमारी परवाह पहले करते है,
हमारी ताकत बनकर हमारे साथ हमेशा खड़े रहते है,
हमें इतना कुछ देकर हमसे कुछ लिया नहीं करते है,
वो "पिता" ही है जो ऐसा किया करते है ।

: तुषार "बिहारी" 

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