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माता पिता : ईश्वर का स्वरूप

तुषार "बिहारी"तुषार "बिहारी" December 29, 2022
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अनेक कष्ट सहकर "माँ" हमें जन्म दे जाती है, 
शिशु रूप में "पिता" हमें सीने पे सुलाते है ।
हमारा रोना सुनते ही "माँ" झट से जाग जाती है,
अपने रोने से हम "पिता" को पूरी रात जगाते है ।

माता-पिता दोनों को समर्पित पंक्तियां;  

उनकी उंगलियां पकड़कर हम चलना सीखते है, 
हमारे लड़खड़ाते कदम का वो सहारा बनते है ।
 
उनके दिए संस्कार से हम समाज के समक्ष आते है, 
उनके दिए प्यार से हम प्यार का मोल समझ पाते है ।
 
कदम कदम पर वो हमारा मार्गदर्शन किया करते है, 
हमारी सफलता पर सबसे ज्यादा खुशी लुटाया करते है ।
 
वो हमारी हर गलती को सीख बताया करते है,
हमारे प्रति निस्वार्थ भाव से प्रेम

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