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रूके थे जब लाल बत्ती पर,
नजर पड़ी उन मासूमों पर ।
वो मांग रहे थे हाथ फैलाकर,
भगा दिया जा रहा था उन्हें फटकारकर ।
नम थी आंखे यह सब देखकर,
दिल बैठा जा रहा था यह सब सोचकर ।
वो बच्चे तो थे,
पर उनसे बचपन की यादें छीनी जा
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