
Share1 Bookmarks 139 Reads1 Likes
जिंदगी का सफर बस इतना सा है,
जीता जागता एक सपना सा है ।
जब नन्हें कदम पड़े इस धरती पर,
तब से चलना एक किस्सा सा है ।
जिंदगी का सफर बस इतना सा है,
जीता जागता एक सपना सा है ।
बैग को कांधे में डालें फिरते से है,
बचपन में देखे ढेरों सपने से है ।
दिन रात का चैन खोए से है,
सपनों के खातिर खुद को भूले से है ।
जिंदगी का सफर बस इतना सा है,
जीता जागता एक सपना सा है ।
बन कर युवा भागे भागे फिरते से है,
अनजान रास्तों पर यूही चलते से है ।
दिख भी जाएं मंजिल तो बैर नहीं,
बस मंजिल को पाने दौड़ते से है ।
जिंदगी का सफर बस इतना सा है,
जीता जागता एक सपना सा है ।
रात दिन इसी सोच में गुजरता है,
कल क्या होना? ये किसे पता है ।
क्यों सोचना बेवजह जो नहीं पता है,
कब खुल जाएं आंखें और टूट जाएं सपने ये किसे पता है ।
जिंदगी का सफर बस इतना सा है,
जीता जागता एक सपना सा है ।
: तुषार "बिहारी"
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments