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आज़ादी का अर्थ हम समझ नहीं सकते,
इसका मोल कभी चुका नहीं सकते ।
कतरा कतरा खून से लिखी गई कहानी है,
सेनानियों के बलिदानों की ये अमर कहानी है ।
कितनी ही पढ़ लो किताबें, कितना ही पढ़ लो इतिहास,
इसके दर्द भरे गहरे घाव का हमें नहीं है एहसास ।
इसके खातिर ना जाने कितनी शहादतें हुई,
एक पल ना रहता सुकून ऐसी कितनी रातें हुई ।
दिन भर के अनेक संघर्षो से वो थकते नहीं थे,
अपनी मातृभूमि के खातिर जातियों में बंटते नहीं थे ।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब हुआ करते थे,
अनेक जातियां थी फिर भी वो भाई हुआ करते थे ।
गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का हुनर जानते थे,
देश के लिए सर्वोच्च फर्ज़ निभाना जानते थे ।
अपनी परवाह किए बिना भविष्य नया लिख रहे थे,
स्वाधीनता का नया बीज इस मिट्टी में बो रहे थे ।<
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