"प्रिय नारी"
यह बात मैंने एक औरत बनकर ही समझी है
कि तुम्हारी सजावट अंदर की चीखों पर लगी महज़ एक पट्टी है।
जैसे अंग्रेज़ी में किसी वाक्य के बाद "फुलस्टाप" लगाते हैं,
तुम्हारे माथे की बिंदी वही बिंदू है
तमाम परेशानियों पर।
तुम्हारे गालों की लाली तुम्हारी मुस्कुराहट की तरह प्यारी है
मानो ढ़लते सूरज पर गुलाल छिड़क दिया हो किसी ने।
तुम्हारे हाठों से खिंची मुस्कान की रेखा
हर गहरे ज़ख़्म का है आईना।
बस! देखने के लिए हुनर और नज़र चाहिए।
तुम, एक औरत हो और औरत होने की
एक बड़ी खासियत यह है कि
औरत केवल औरतों के जिस्म में ही नहीं
मर्दों के जिस्म में भी पाई जाती हैं।
'औरत' एक लिंग नहीं, एक 'स्थिति' है
ऊपर वाले की एक हसीन परिस्थिति है।
मैं कभी उन लोगों को नहीं समझ पाऊंगी
जो तुम्हें इज़्ज़त के काबिल नहीं समझते,
जाने किस कोख के हैं वो जन्में?
जाने किस कोख से हैं वो निकले?
ऊपर वाले ने एक बच्चे को दुनिया में लाने का ज़रिया
औरत को ही क्यों बनाया?
क्योंकि एक औरत ही है
जो समंदर की तरह गहरी है मगर शांत रहन
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