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हिंदी कविता

Tripathipawan259Tripathipawan259 June 16, 2020
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हम रखे थे उम्मीदे जिनसे वो जालिम चालबाज निकले

ढूंढते मिले भी सफर में पर वो बहाने बाज निकले।

उम्मीदे ना.छोड़ी हमने उसको पाने की पर किस्मत ही बेकार निकली

लाख कोशिश कर ली हमने पर पैदाईशी परेशान निकले।

हम रखे थे उम्मीदे जिनसे वो जालिम चालबाज निकले

ढूंढते मिले भी सफर में पर वो बहाने बाज निकले।

रोज नयी आस मे जीने की आदत डाली पर जरुरतो से हैरान निकले

वो कहते हुए निकले तुम मे कुछ बात है इसका तो ख्याल रखते। हम रखे थे उम्मीदे जिनसे वो जालिम चालबाज निकले ढूंढते मिले भी सफर में पर वो बहाने बाज निकले।

Pawan Tripathi

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