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"ये रात भी चलती है"
ये रात भी चलती है
पहरों पहर
ये काली सी..स्याही में डूबी सी
कभी नीली सी ये रात।
कभी चांदनी को खुद में समेटे हुए
कभी चाँदी की ओढ़नी ओढ़े हुए
लहराती मचलती ये रात।
बहती हवा से करती
हंसी ठिठोली
बन जाती दोनों ये पक्की सहेली
एक दूजे से मन का हाल सुनाती
गाती गुनगुनाती ये रात।
झि
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