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"वो सबला है"
दृढ़ इच्छा शक्ति की है
अदम्य साहसी
ताकत भले कम है
हिम्मत समायी है
सारे ब्रह्माण्ड की
वो सबला है।
जितना ज़्यादा बोलती है
उससे ज़्यादा सोचती है
जितना सोचती है
उससे ज़्यादा करती है
और करती रहती है।
जितनी ज़ल्दी आंसू आते हैं
उतनी ही ज़ल्दी मुस्कुराती है
हँसती है अक्सर खुद पर
और दूजी पीर पर रो जाती है
बस यूँ ही अपना बीड़ा उठाकर
अखाड़े में उतर जाती है।
एक काया रचती है
अपने भीतर
जिस दर्द की कराह तुम सुन नहीं सकते
वो दर्द सहकर
साँसें देती है
एक जीवन देती है
सोच पालती है
समझ पोसती है।
गुड़िया बनाती है
गुड्डे बनाती है
रिश्तों के धागे में
प्रेम पिरोती है
ईंट के मकान को
घर बनाती है
कभी खुद के लिए लड़ती
कभी दूजों के लिए लड़ जाती है
वो अबला नहीं
वो सबला है।
वो औरत है
वो सबला है।
- भारती
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