जाने क्या लिखती मिटाती हूँ's image
Poetry1 min read

जाने क्या लिखती मिटाती हूँ

Bharti TripathiBharti Tripathi November 27, 2021
Share0 Bookmarks 221827 Reads0 Likes

"जाने क्या लिखती मिटाती हूँ"


जाने क्या लिखती मिटाती हूँ

दिल के पन्ने सिमटाती हूँ

अकेलेपन में मुस्काती 

तन्हा भीड़ में भी हो जाती हूँ।


कभी दिन-दिन गिनती उंगली पर 

कभी पल दो पल जी जाती हूँ

कभी चार कदम में थक जाती

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts