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"गुज़ारिश"
ये जो तुमने बरसों से
इतने आँसू अपने दिल में
छिपाए रखे हैं,
जिन्हें बहाने से तुम
हमेशा से डरते थे,
और डरते हो
कोई नहीं देखेगा
वो सब अब बहा दो
क्योंकि तुम भी तो
इंसान हो।
जमने न देना इन्हें
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