
Share0 Bookmarks 72 Reads0 Likes
आत्मा और बौद्धिकता के बीच का एकांत अनंत विभाजनग्रस्त होता है,
वो अनुभवों से प्रेरित है,
उन्मुद्र ।
कुछ जो सारी बौद्धिकता त्याग कर आत्म हो उठता है,
वो स्वत्व है, निराकार ,
उन्मुक्त ।
कुछ जो सारी अहम् त्याग के बौद्धिक हो उठता है,
वो बुद्धत्व है, अपार ,
उन्मेष।
कुछ जो दोनों हीं त्याग देते है,
वो परमत्व है, स्वीकार,
उन्वान।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments