सम्भव's image
Share0 Bookmarks 214745 Reads0 Likes


जीवन में सम्भव नहीं 

हर एक बार जीत जाना 

अनुभव वो भी प्रबल है

टूटना और बिखर जाना


नियति है उल्हास किसी को 

नियति है अन्याय भी

जैसे पत्थर पूज्य है

और है पत्थर रेत भी 


बरसों लगे रेतों

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts