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मैं वो हुआ मैं वो ना रहा
ना जीता न हारा ना रहा
हसरतों को आईना दिखा रहा
रूह मिरा रहबर यारा ना रहा
रास्ते के कंकड़ किसने ना चुने
कौं मंज़िलों का बंजारा ना रहा
हुआ जो हुआ इख़्तियार नही
मौजों में बहा किनारा ना रहा
जलते सितारे बुझते से रहे
कौन क़िस्मत का मारा ना रहा
तुम भी डुबो तुम भी उबरो ‘त्राण’
कौन ज़िंदगी का प्यारा ना रहा
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