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देखो ना,
देखो कैसे बंद दरवाज़े हैं,
दरवाज़ों से खुलते दरवाज़े,
एक के पार एक,
दरवाज़ों से खुलते दरवाज़े,
दरवाज़े घिरी हैं दीवारों से,
दीवारों पे खिड़की है,
खिड़की के ऊपर रोशनदान है,
रोशनदान से आती है रोशनी,
रोशनी और ख़ुशबू,
ऐसे जैसे कि आकाश नीला हो क्षितिज तक,
उरेके हुए बादल हों,
एक पेड़ हो और घाँस हरी-हरी,
सूरज गगन में पर गर्म नही,
हवाओं का शोर हो पत्तों में,
खिड़की से नज़ारा दिखता है बाहर का,
दरवाज़ा खोलो तो फिर एक दरवाज़ा है,
वही,
वैसा हीं,
दीवारों से घिरा,
दीवारों पे खिड़की है,
और खिड़की के ऊपर रोशनदान,
देखो।
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