
Share0 Bookmarks 0 Reads0 Likes
मैं अयादत अपने चिलमन से तेरे हुस्न गुलजार का किया करता था
मैं तरकीब से तेरे सफर मेंंं तेरे साथ आया करता थाा
देखा जब मैं उस दिन उन दीवारों केेे पीछे तुझे
यू दरिया में बैठकर गैरों केेेे बीच तेरा दीदार किया करता था।
महफूज हो गया था, तेरे हुस्न के मयखाने में ।मोहब्बत के झरने बह रहेेेेेे थे ,
मैं तरकीब से तेरे सफर मेंंं तेरे साथ आया करता थाा
देखा जब मैं उस दिन उन दीवारों केेे पीछे तुझे
यू दरिया में बैठकर गैरों केेेे बीच तेरा दीदार किया करता था।
महफूज हो गया था, तेरे हुस्न के मयखाने में ।मोहब्बत के झरने बह रहेेेेेे थे ,
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments