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रातों रात गोदाम बदल दिया गया
ज़रूरी चीज़ों का दाम बदल दिया गया
डर और तमाशे तरह तरह के दिखाके
एक आदमी..आम..बदल दिया गया
हाकिम की ज़िद थी सज़ा देनी ही देनी है
सो सरेआम इलज़ाम बदल दिया गया
जवाब नहीं आया तो उस बेचारे की क्या खता?
नाहक ही कासिद का काम बदल दिया गया
ज्यूं ही नाम का पता च
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