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 वो चाहता हैं कि मैं मान लूँ ,वो खुश है मेरे बगैर 
जिसका कभी एक पल भी कटता नहीं था मेरे बगैर। 
लगती है उसे सारी कायनात आज खूबसूरत,
जिसे कभी भाती नहीं थी अपनी भी सूरत मेरे बगैर, 
वो जो आज ज़िद पे है मुझसे दूर जाने की,
वो कभी अपने भी घर जाता नहीं था मेरे बगैर।
वो दौर अलग था जब बिछड़ने पर मर जाया करते थे, 
देख मैं भी ज़िन्दा हूँ तेरे बगैर, तू भी ज़िन्दा है मेरे बगैर। 

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