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मै देखता हूं सबाब को, तेरी आंखों से गिरते हुए। ना मेरे पास कोई जकीरा है, जो समेट लूं इन्हे कुछ लम्हों के लिए। शराब का नशा तो इंसान पर होता है, कुछ ही घंटों के लिए। तेरी शबाब को देख खुल मेरा दिल हमेशा के लिए। -आधार डागुर
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