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पैरों से काटें निकाल रहे थे मंजिल की राह मै। तब याद आया और गुजरेंगे यहां से मंजिल की चाह मै। लगे रहने दिया उनको उनकी खातिर पैरों मै, सारी जिंदगी निकाल दी दर्द की वेतरबीब आह मै। आधार डागुर
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