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सफलता मिलेगी ये निश्चित है, बस सब्र रखो थोड़ा,
थोड़ी कोशिश करके और देखो,
शायद ये हो आखिरी दांव का घोड़ा,
रणनीति देखो सफल व्यक्तियों की,
कैसे असफलता को सफलता से उन्होंने जोड़ा I
मन तो चाहता है ही कि, सफलता जल्दी कदम चूमें,
कमी रह क्या जा रही है, विचार ये दिमाग में घूमें,
पर कुछ तो होगा ना, जो तुमसे छूट रहा है,
विचार करना जिसका बाकी है, वही तुमसे अवसर लूट रहा हैl
क्यों जाने देते हो उस अवसर को, काम अपनी कमी पर करो ,
रणनीति में उचित क्या नहीं है ,उस बात को जल्दी पकड़ो,
एक बार यह पकड़ लोगे ना , तो समझ जाओगे,
जो पा नहीं सके थे अब तक ,फिर वह पा पाओगे,
कोशिश करते सभी है, पर ढंग अलग होता है,
कुछ हो जाते है सफल , बाकी कुछ का दिल रोता हैI
अपनी सीमा से आगे बढ़ो ,उन्हें करना मत सीमित,
उनसे आगे बढ़कर ही, हो पाओगे तुम फलित,
जिस दिन सफलता पा लो ,फिर से यह कविता उठाना,
अपनी असफलता को याद कर, सफलता का जश्न मनाना I
सुरभि ठाकुर
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